ये एक कहानी है जो हमारे गुरु द्वारा मगही में वर्णन किया जाता रहा है, मैंने इसे खड़ी बोली हिंदी में आप लोगों के सामने रखने की कोशिश की है, मैंने इस साधारण सी कहानी में एक गज़ब का सन्देश देखा है जो आम जनता को बहुत कुछ समझा जाती है............................Nilmani
एक बार एक नेताजी की सुबह - सुबह नींद खुली ॥ अब नेता हैं तो चापलूस भी होंगे ही, चापलूसों को बुला कर कहा "आज शाम को गाँधी मैदान से एक जहाज जाएगा" ॥ "नेताजी इसमें क्या खास बात है? जो सुबह में परेशान कर रहे हो ये तो रोज़ जाता है " देर तक सोने वालों चापलूसों को सुबह में जागना बुरा लग रहा था .. नेताजी ने राज की बात बतायी "वो ऐसा जहाज है जो न सुनाई देगा, न दिखाई देगा, बहुत बड़ा है , एकदम अनोखा है, एक बार देख लोगे तो जनम सफल हो जायेगा ".
नेताजी के चमचों ने चम्मच बजाया, पुरे राज्य को ज़गाया । "सुनो भाइयों ........ आज एक अनोखा जहाज जाएगा जो न सुनाई देगा, न दिखाई देगा, गाँधी मैदान आ जाओ". हमारे राज्य की जनता............... सुबह- सुबह , उठते ही दौड़ पड़े ... नेताजी ने कहा है सही ही कहा होगा । ट्रेन से टिकट वालों को निकाल फेंका , बिना टिकट लिए , धोती-गंजी पहने ही दौड़ पड़े । शाम तक गाँधी मैदान में भीड़ ही भीड़ ............ सारी ऑंखें आसमान की ओर, की कहाँ है जहाज ........... जो न दिखाई देगा न सुनाई देगा । कान फाड़े , आंखें खोले जनता खड़ी है , अब आया की तब आया .... देखना तो है ही ।
शाम ढलने लगी....... साढ़े चार बज चुके थे । अभी भी नहीं आया वो चमत्कारी जहाज ।। पाँच बज चुके थे ..... सूरज नीचे ढल रहा था । लोगों का धैर्य जवाब दे रहा था । एक ने पूछा " अरे किसने बोला था ?" । मुझे तो उसने बोला था । ............. लोग गर्मी से तर -बतर । अब जैसा की होता है, सारे तलाशने लगे किसने कहा था कि जहाज आएगा । मुझे तो फ़लाने ने ........... मैंने नहीं ........ अरे मुझे तो फ़लाने बाबु ने........और अंत में एक चमचा पकड़ में आया ॥ लोग मारने के लिए ऊतारू ......... लाल लाल ऑंखें ........... भीड़ ने पूछा " झूठ क्यूँ बोला ?" एक और आवाज़ आई " मारो चमचे को" ॥ चमचे ने कहा " मैंने कुछ नहीं किया । मुझे तो नेताजी ने कहा था " ॥ "कहाँ है नेता , पकड़ो धूर्त को..... हमें मुर्ख बनाता है " ॥ लोगों ने नेता को पकड़ा और चरों ओर से घेर लिया ॥ नेताजी ने पूछा " क्या हुआ ? आप परेशान क्यूँ हैं ?" भीड़ चिल्लाने लगी .......... "हमारा दिन बर्बाद कर दिया और पूछता है क्या हुआ ?" .......... " जहाज का क्या हुआ ? झूठा ... कहाँ है चमत्कारी जहाज ??? " ॥ एक पहलवान जैसे आदमी ने देखा नेता कुछ बोलना चाहता है ... वो गरज कर बोला "अरे सब चुप । देख रहे हो नेता कुछ बोलना चाहता है ... चुप !!!" नेताजी ने कहा " मैंने क्या किया ? आपका एक दिन बर्बाद करके मैं बड़ा नेता तो कहलाया । देखो सारे मीडिया वाले कह रहे हैं ..नेताजी का बड़ा भीड़, मतलब बहुत लोकप्रिय हैं नेताजी ..... तो ये हो गए बड़े नेताजी वो भी जनाधार वाले ॥ अब तो दिल्ली भी मुझे पूछेगी । अरे तुम्हारा तो सारा जीवन ही बर्बाद है अरे मेरा तो आबाद किया ना । सुबह ही कहा था, नही सुनाई देगा, फिर भी कान फाड़े खड़े हो । नहीं दिखाई देगा. फिर भी टकटकी लगाये देख रहे हो । अरे अब मैं तो बड़ा नेता बन गया ना । तुम तो ऐसे भी रोज लुटते हो । आज क्या नया हो गया ... चलो आये हो तो कुछ रबरी तुम्हे भी मिल जाएगी कोई आरक्षण या subsidy कुछ दे दूंगा ."
और उधर मीडिया वाले टीवी पर नेताजी के जनाधार की प्रसंशा कर रहे थे , भावी मुख्यमंत्री भी बना दिया था ॥ दिल्ली से हाई कमान का बुलावा भी आने लगा था ॥ और जनता बेचारी साठ(६०) बरसों से जहाज ही देख रही है , और नेताजी रोज नए वाला जहाज भी दिखा देतें हैं ॥ किसी को आरक्षण जहाज , तो कोई subsidy जहाज , कोई नए राज्य वाला जहाज देख रहा है ॥ जनता भी जहाजों में मन मग्नहै ............... और ये लोग भी बड़े वाले नेताजी बन जा रहे हैं ॥
एक बार एक नेताजी की सुबह - सुबह नींद खुली ॥ अब नेता हैं तो चापलूस भी होंगे ही, चापलूसों को बुला कर कहा "आज शाम को गाँधी मैदान से एक जहाज जाएगा" ॥ "नेताजी इसमें क्या खास बात है? जो सुबह में परेशान कर रहे हो ये तो रोज़ जाता है " देर तक सोने वालों चापलूसों को सुबह में जागना बुरा लग रहा था .. नेताजी ने राज की बात बतायी "वो ऐसा जहाज है जो न सुनाई देगा, न दिखाई देगा, बहुत बड़ा है , एकदम अनोखा है, एक बार देख लोगे तो जनम सफल हो जायेगा ".
नेताजी के चमचों ने चम्मच बजाया, पुरे राज्य को ज़गाया । "सुनो भाइयों ........ आज एक अनोखा जहाज जाएगा जो न सुनाई देगा, न दिखाई देगा, गाँधी मैदान आ जाओ". हमारे राज्य की जनता............... सुबह- सुबह , उठते ही दौड़ पड़े ... नेताजी ने कहा है सही ही कहा होगा । ट्रेन से टिकट वालों को निकाल फेंका , बिना टिकट लिए , धोती-गंजी पहने ही दौड़ पड़े । शाम तक गाँधी मैदान में भीड़ ही भीड़ ............ सारी ऑंखें आसमान की ओर, की कहाँ है जहाज ........... जो न दिखाई देगा न सुनाई देगा । कान फाड़े , आंखें खोले जनता खड़ी है , अब आया की तब आया .... देखना तो है ही ।
शाम ढलने लगी....... साढ़े चार बज चुके थे । अभी भी नहीं आया वो चमत्कारी जहाज ।। पाँच बज चुके थे ..... सूरज नीचे ढल रहा था । लोगों का धैर्य जवाब दे रहा था । एक ने पूछा " अरे किसने बोला था ?" । मुझे तो उसने बोला था । ............. लोग गर्मी से तर -बतर । अब जैसा की होता है, सारे तलाशने लगे किसने कहा था कि जहाज आएगा । मुझे तो फ़लाने ने ........... मैंने नहीं ........ अरे मुझे तो फ़लाने बाबु ने........और अंत में एक चमचा पकड़ में आया ॥ लोग मारने के लिए ऊतारू ......... लाल लाल ऑंखें ........... भीड़ ने पूछा " झूठ क्यूँ बोला ?" एक और आवाज़ आई " मारो चमचे को" ॥ चमचे ने कहा " मैंने कुछ नहीं किया । मुझे तो नेताजी ने कहा था " ॥ "कहाँ है नेता , पकड़ो धूर्त को..... हमें मुर्ख बनाता है " ॥ लोगों ने नेता को पकड़ा और चरों ओर से घेर लिया ॥ नेताजी ने पूछा " क्या हुआ ? आप परेशान क्यूँ हैं ?" भीड़ चिल्लाने लगी .......... "हमारा दिन बर्बाद कर दिया और पूछता है क्या हुआ ?" .......... " जहाज का क्या हुआ ? झूठा ... कहाँ है चमत्कारी जहाज ??? " ॥ एक पहलवान जैसे आदमी ने देखा नेता कुछ बोलना चाहता है ... वो गरज कर बोला "अरे सब चुप । देख रहे हो नेता कुछ बोलना चाहता है ... चुप !!!" नेताजी ने कहा " मैंने क्या किया ? आपका एक दिन बर्बाद करके मैं बड़ा नेता तो कहलाया । देखो सारे मीडिया वाले कह रहे हैं ..नेताजी का बड़ा भीड़, मतलब बहुत लोकप्रिय हैं नेताजी ..... तो ये हो गए बड़े नेताजी वो भी जनाधार वाले ॥ अब तो दिल्ली भी मुझे पूछेगी । अरे तुम्हारा तो सारा जीवन ही बर्बाद है अरे मेरा तो आबाद किया ना । सुबह ही कहा था, नही सुनाई देगा, फिर भी कान फाड़े खड़े हो । नहीं दिखाई देगा. फिर भी टकटकी लगाये देख रहे हो । अरे अब मैं तो बड़ा नेता बन गया ना । तुम तो ऐसे भी रोज लुटते हो । आज क्या नया हो गया ... चलो आये हो तो कुछ रबरी तुम्हे भी मिल जाएगी कोई आरक्षण या subsidy कुछ दे दूंगा ."
और उधर मीडिया वाले टीवी पर नेताजी के जनाधार की प्रसंशा कर रहे थे , भावी मुख्यमंत्री भी बना दिया था ॥ दिल्ली से हाई कमान का बुलावा भी आने लगा था ॥ और जनता बेचारी साठ(६०) बरसों से जहाज ही देख रही है , और नेताजी रोज नए वाला जहाज भी दिखा देतें हैं ॥ किसी को आरक्षण जहाज , तो कोई subsidy जहाज , कोई नए राज्य वाला जहाज देख रहा है ॥ जनता भी जहाजों में मन मग्नहै ............... और ये लोग भी बड़े वाले नेताजी बन जा रहे हैं ॥
नेता जी तो नेता जी हैं.........
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