एक असाधारण व्यक्तित्व: कौशल कुमार कौशलेन्द्र सिन्हा
ये हमारे लिए गर्व की बात है की हम आपका परिचय एक ऐसे व्यक्ति से करवा रहे हैं जो सही मायनों में असाधारण हैं, सच्चाई एवं ईमानदारी में अटूट विश्वास रखने वाले श्री कौशल कुमार कौशलेन्द्र सिन्हा की वाणी में ओज है, सत्य है, दृढ़ता है, कर्म में देशभक्ति है एवं आम जनता के दुखों के निदान का प्रयास है, जिनका अंतर्मन जनता के कष्टों से संवेदित है, सदैव चिंतन में लीन है, और कठिनतम परिस्थितियों में भी ये जनता की आवाज़ बुलंद किये हुए हैं| एक खेतिहर परिवार में जन्म लेने वाले हमारे गुरु श्री कौशल कुमार कौशलेन्द्र सिन्हा को हरेक विषय पर गहन एवं बहुमुखी चिंतन का वरदान मिला, साथ ही दूसरों के दुखों को समझ लेने वाली गहरी संवेदना मिली| अपने कर्म से मुख्यतः शिक्षक, वर्ष १९९९ में अपने गांव जयशिव बिगहा में चुनावी हिंसा में दो युवाओं के हताहत होने के कारण लोकनीति में प्रवेश किया| इसके बाद इन्होने दो बार विधानसभा चुनाव अस्थावां एवं हिलसा (2001, 2005) में लड़ा, फिर वर्ष 2009 में इन्होने नालन्दा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा| सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहने के बावजूद भी ये एक सच्चे गुरु, प्रेरक, एवं मार्गदर्शक का दायित्व पुरे दिल से निभाते रहे हैं, जिसकी बानगी को बयां करते हैं वो अनगिनत छात्र जो की आज इनके मार्गदर्शन के बदौलत सफल हो चुके हैं| अभी पटना में मानवोत्कर्ष विद्यापीठ नामक संस्था के निदेशक भी हैं जो इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की तैयारी करवाती है|
एक गहन आध्यात्मिक एवं कर्मठ व्यक्ति जिनके जीवन का मूल ही है “नित्य, अविरत, अथक समाजोपयोगी कर्म”| भारतीय संस्कृति एवं सभी धर्मों के मर्मज्ञ व्यक्ति जिनके अंदर असीम ईश्वरीय उर्जा है, जिनकी वक्तृत्व एवं तार्किक क्षमता किसी को भी अपना प्रशंसक बना लेती है, जिनके सोच की विराटता एवं उत्कृष्ठता किसी को भी ये आभास देती है की हम ज्ञान के एक नए सूर्य से बात कर रहे हैं| इनकी कर्मठता की मिसाल वो अनेक कार्य हैं जो इन्होने आजतक समाज में किया है| अनेक नवयुवकों को मशरूम एवं वर्मीकंपोस्ट का प्रशिक्षण इनकी संस्था मानवोत्कर्ष ने दिया है| अखिल भारतीय मानवोत्कर्ष ग्राम समिति किसानों के सम्मलेन आयोजित करवाती रही है एवं उन्हें कृषि की नयी तकनीकों एवं वैज्ञानिक ज्ञान से परिचित करवाती रही है| मानवोत्कर्ष विद्यार्थी कल्याण संघ, बिहार ने मगध विश्वविद्यालय के सत्र नियमन एवं परीक्षा में देरी तथा अनियमितताओं के विरुद्ध आमरण अनशन (गाँधी मैदान, पटना) कर सफल कार्यवाही की एवं सत्रों को नियमित करवाया| विभिन्न सामाजिक मुद्दों यथा बिजली, शिक्षा, लालफीताशाही एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए इन्होने 9 बार सफल आमरण अनशन कर अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को संपन्न करवाया| लालफीताशाही एवं सरकारी दफ्तरों में जनता के मान-सम्मान को लेके ये शुरू से ही संघर्षरत रहे हैं| आम जनता को सरकारी कार्यों में सही भागीदारी मिले, युवा स्वाबलंबी बने, शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो, कृषि कार्य के लिए निःशुल्क बिजली मिले, एवं गरीबी और भुखमरी जैसे मुद्दों के लिए ये शुरू से ही प्रयत्नशील रहे हैं| लोकतंत्र में लोकनेता एवं लोकनैतिक पार्टियों की स्थापना भी इनका लक्ष्य रहा है|
हमारे परमपूज्य शिक्षक एवं गुरु बेजुबान आम जनता की आवाज़ हैं, आत्मसम्मान एवं स्वाबलंबन के लिए तरसते युवाओं की आवाज़ हैं| हमलोगों ने इस विराट व्यक्तित्व में एक ईमानदार, सच्चा एवं कर्तव्यनिष्ठ लोकनेता देखा है जो अपने सीमित सुविधा साधनों में भी तन-मन-धन से जनता की सेवा में लगा हुआ है| एक प्रबुद्ध चिंतनशील लोकनेता जो चाहे कहीं भी रहें हों बस, रेल, पैदल, गांव, शहर हर जगह आम जन में लोकतान्त्रिक अधिकारों की अलख जगा रहे हैं|
और अंत में हमारे गुरु के ओर से एक नम्र निवेदन “आप मत दान करें, मति दान ना करें, जात-धर्म की संकीर्णता से ऊपर उठकर सुयोग्य प्रत्याशी को अपना बहुमूल्य मत दान करें” नहीं तो फिर हर चुनाव के बाद हारती तो आम जनता ही है, भ्रष्टाचार बढ़ता ही जाता है, जनता त्रस्त होती जाती है|
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